पृथ्वी माँ है और हम सब उसकी संतान। धरती की गोद में लाखों मील भटका हूँ। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण। वरुण देवता के सीमाहीन साम्राज्य की सेवा में कई वर्ष बिताये हैं। प्रकृति के जल और थल तत्व को बहुत करीब से देखा है, अनुभूति की है। वायु के शक्ति की पराकाष्ठा के चक्रवातों को सागर के बीच में देखा है। पास में ही अग्नि तत्व को बिजली बन कर गिरते देखा है। आकाश के निर्वात में प्रकृति के तारामंडल को निहारते न जाने कितनी रातें बीती हैं।
यह पृथ्वी अद्भुत है, अतुल्य है, परिमेय होते हुए भी इसका वैराट्य रोमांचकारी है। पृथ्वी दिवस की शुभकामना।
यह पृथ्वी अद्भुत है, अतुल्य है, परिमेय होते हुए भी इसका वैराट्य रोमांचकारी है। पृथ्वी दिवस की शुभकामना।
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