Monday, November 9, 2020

घोसला

इस घर में कभी एक घोसला था,
सुनता हूँ परदादा यहीं रहते थे।
बहुत सारे आदमी के बच्चे थे,
जो बड़े हो गए, कहीं खो गए थे।
अब यहां पंछी घोसला नहीं बनाते,
यहां अब पहले सी चहचहाहट नहीं।
कुल गिन कर तीन लोग रहते है,
मशीने आवाज़ करती है, बच्चे नहीं।



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