Monday, December 28, 2020

किनारे

किनारे पूछते हैं - नाविक तुम्हें मंज़िल मिल गयी क्या ? तट के समीप की तटस्थता कब तक ? कहाँ है तुम्हारी नाव या फिर क्यों नहीं जाते तुम अपने गाँव ?

क्या खोजते हो ? वह जो किसी को नहीं मिला ? या फिर खो गए हो, उलझ गए हो वियोग और संयोग के बीच ...



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मेरी माँ

भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...