अलसाये प्रात में देखो
प्राची क्या संदेशा लायी।
शीत रात्रि का मिटा नहीं
औ' रवि बांटता तरुणाई।
संधि काल ऐसे ही होते,
भूत भविष्य मिल रहे जैसे।
वर्तमान उस पल का कहता,
परिवर्तन ही जीवन जैसे।
अभ्युदय एक सिंधु जैसा है,
नित नित बिंदु भरा करते हैं।
पल प्रतिपल की थाती ले कर,
जीवन वृत्त बना करते हैं।
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