षड्यंत्रों के यंत्र मन्त्र में डूबी धरती जब,
त्राहि त्राहि हो पीड़ित सी सकुचाती है।
सहज, सरल, सापेक्ष सत्य की रक्षा को,
परम शक्ति जब चिंतित हो अकुलाती है।
दुष्ट, अधम और पापी जब मदमस्त हुए,
छोटे 2 इंद्र सभी, टूट बिखर निस्तेज हुए।
महासमर में पाप विहँसता, पुण्य तड़पता,
धर्म ध्वजा जब आहत, कुंठा में मौन हुए।
सत्य, सनातन लीला करने तब स्वयं चले,
ले रूप कृष्ण का लीलाधर तब स्वयं बढे।
अन्यायी को गति, भक्त को मुक्ति दिया,
जगत गुरु ने महि मंडल कल्याण किया।
विकराल काल से दुष्टों का संधान किया
कृष्णा ने प्रत्येक पापी का नाश किया।
सत्य, समर्पण, निष्ठा को वरदान दिया,
शरणागत का स्नेह सिक्त उद्धार किया।
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