यह गाँव है बाबू।
साइकिल है, झोरा है,
हाट है, बाजार है।
पैडल के मारने से,
चलता संसार है।
बूढ़ा और बच्चा का,
फैला यहाँ जाल है।
तरक्की का पहिया का,
धीमा धीमा चाल है।
जितना होसियार हुआ,
शहर का किरायेदार है।
गाँव का मालिक अब,
शिक्षित बेरोजगार है।
यह गाँव है बाबू।
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