शुभ संकल्प सजाते हैं हम, शुभ संकल्प सजाते हैं हम।
राष्ट्र उदय की चिर बेला में, शुभ संकल्प सजाते हैं हम।
तन मन धन और प्राण समर्पित, सृजन यज्ञ की पावन ज्वाला,
भारत भू की शाश्वत उन्नति, का सम गीत सुनाते हैं हम।
कल्याण भाव हो विजयी निरंतर, परमारथ का बढे पराक्रम,
वसुधा का सम्मान बढ़ाते, सृजन घोष करते जाते हम।
विजय धर्म की दिशा दिशा हो, कही रहे न कलुष निशा हो,
संकल्पों की प्रत्युषा में यह संकल्प सुनाते हैं हम।
स्वाभिमान, मर्यादित जीवन, राष्ट्र हेतु सर्वस्व समर्पण,
अभिनव युग के प्रतिमानों में भाव सनातन भर जाते हम।
शुभ संकल्प सजाते हैं हम, शुभ संकल्प सजाते हैं हम।
राष्ट्र उदय की चिर बेला में, शुभ संकल्प सजाते हैं हम।
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