Friday, September 8, 2023

देखना

दृश्य जगत को हम सभी देखते हैं। परन्तु क्या हम विचार जगत को देख पाते हैं ? यदि हम विचार जगत को देख पाते हों तो क्या हम काल यात्रा में पुरुष और प्रकृति के तत्वोंसे सृजित अध्यायों को देख पाते हैं। और यदि काल यात्रा भी दिखती हो तो अनंत कितना दिखता है ?

वह कौन सी परिस्थितियां हैं जब हम विचलित होते हैं और दृष्टि के विभिन्न आयाम अवरुद्ध होते जाते हैं। यहां तक कि दृश्यमान जगत भी नहीं दिखता। विचलन की वह अवधि कैसे चेतना के विभिन्न स्तरों को जड़ कर देती है? कभी ऐसे विचलन के बीच क्या हम रुके हैं और हमने पुनः दृष्टि के आयामों का जागरण किया है ?
यदि हम देखना सीख लेंगे तो सब समझ भी जाएंगे।


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