कह दिए सब दिल के अरमान , सब वफायें कह चुका.
साथ का ऐसा नशा था , जाने क्या क्या कह गया.
गम रहा उस वक्त मेरे , ख्वाब का हर एक गुमान,
लुट गया मेरे जेहन का दर्द का सारा निशाँ.
अब नही कुछ साथ मेरे , बस तेरा काफिर हुआ हूँ,
पल को जो ठहरे हो तुम , मैं भी तेरे साथ ही हूँ..
साया दिल का बोलता है , अब नही धड़कन का अरमान,
नब्ज की हर शाह पे देखो , अब बजे तेरा ही सरगम.
होठों से लिखते जो मयकश, आज वोह मैं लिख रहा हूँ,
जाने कितनी दूर को यह , फासला मैं गिन रहा हूँ.
अब कहो मेरे ऐ दिलवर , फासलों की उम्र क्या थी,
बाह में भर कर के देखो , साथ की वोह बात क्या थी.
These blogs r fondest of my words, closest to my bosom, deeply enriched with the outcomes of an introspective sojourn.... The panoramic view of sinusoidal life and its adornments ....
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