पलकों ने ली साँसे,
और दिल ने ली अंगडाई.
आज रात के सन्नाटे में ,
चांदनी जैसे छाई.
चाँद, हो मय का प्याला,
और चांदनी जैसे मय हो.
हाथों में ले सागर जैसे,
रात ही आप खड़ी हो.
मयकश हो गर जानी ,
तोह हाथ बढाओ आगे.
जाने दो इस दुनिया को,
जहाँ जहाँ ये भागे.
These blogs r fondest of my words, closest to my bosom, deeply enriched with the outcomes of an introspective sojourn.... The panoramic view of sinusoidal life and its adornments ....
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