यह चूल्हा ज़िन्दगी का,
सोच जलाये दिमाग के चूल्हे में, वक़्त, रोटियों से गोल पकाये हैं। अनुभव के अंगारे से जलती आंच, कभी मद्धम कभी तेज सुलगती है।These blogs r fondest of my words, closest to my bosom, deeply enriched with the outcomes of an introspective sojourn.... The panoramic view of sinusoidal life and its adornments ....
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मेरी माँ
भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...
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My breath was uneven,dry throat,shivering hands,sagging morale and i was a living corpse or a dying man. Alone all alone in the vastness of ...
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Debate held at Aryabhatta Hall , IIM , Ranchi. Can Corruption be erased or reduced drastically ?? Respected Jury and esteemed thoug...
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