तुझे ढूंढते हैं हर नज़र
ऐ मेरे शहर ऐ मेरे शहर
वो जो छिप गया वो सुकून था
वो जो दिख रहा वो नसीब है।
मेरी हसरतों की न फ़िक्र कर,
अब सवाल उठते हैं वजूद पर।
तू जख्म की न कोई बात कर,
कोई कील ला ये सलीब है।
मेरा मैं बिखर के सब हुआ ,
क्या अजब हुआ, क्या गजब हुआ।
तुझे ढूंढते हैं हर नज़र
ऐ मेरे शहर ऐ मेरे शहर
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