Thursday, October 22, 2020

विजयी राम

ज्योति हो, उत्कर्ष हो, प्राणों में केवल हर्ष हो. न शीत हो न भीत हो, चहुदिश सुखद संगीत हो. हों राम विजयी युग युगों में, हो धर्म की संस्थापना. तम कहीं भी रह न जाए सत्य की हो साधना.

#Navratri




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भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...