Tuesday, October 6, 2020

सीख

सीख सको,सीखो वृक्षों से,

जड़ें बाँध कर उठ जाना। नदिया की धारा से सीखो, मीलों मील चले जाना। सीखो नभ के तारागण से, अनुशासन में बंध जीना। सीखो शिक्षक की कक्षा से, दो दो पीढ़ी को गढ़ जाना। शिक्षक दिवस की शुभकामनायें।



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मेरी माँ

भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...