Wednesday, July 15, 2020

मोक्ष

मोक्ष की सीढ़ियां बिछी पड़ी हैं, मद्धिम मद्धिम दिख भी रही हैं। विश्वास है आराध्य पर, आराधना पर, हाड मांस के पांवों के भी पंख लगेंगे। छूटेगा जन्मों का फेरा, हारेगा अँधेरा, चिर विराग को अनुराग के सूर्य मिलेंगे।

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मेरी माँ

भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...