मानव निर्मित व्यवस्थाओं के अंदर स्थापित नियमों के साथ एक मानव वन भी होता है। शीर्षस्थ व्यक्ति भी यदि लम्बे समय तक केवल नियमों के बल पर चले तो उसे व्यवस्था के अन्य घटक पसंद नहीं करते। व्यवस्था के प्राणियों को नियमों के जाल में भी अपने रूचि के वैचारिक और भौतिक भोजन चाहिए। थोड़े समय का अवकास वह सह सकते हैं, परन्तु लम्बे समय तक बिलकुल नहीं। नियमों से चलने वाले व्यक्ति को यदि सफलता पूर्वक अपने काम करने है तो उसमें विलक्षण चातुर्य चाहिए।
These blogs r fondest of my words, closest to my bosom, deeply enriched with the outcomes of an introspective sojourn.... The panoramic view of sinusoidal life and its adornments ....
Saturday, July 15, 2023
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मेरी माँ
भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...
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My breath was uneven,dry throat,shivering hands,sagging morale and i was a living corpse or a dying man. Alone all alone in the vastness of ...
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Debate held at Aryabhatta Hall , IIM , Ranchi. Can Corruption be erased or reduced drastically ?? Respected Jury and esteemed thoug...
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