वह समर्पित प्रेम, वह तिलांजलि स्वयं की,
मानो वेदना के गीत में चेतना संगीत सी।
प्राण के उद्गीथ में ज्यों नाम के मनके जुड़े,
साधना से प्रेम में ज्यों विरह घुल घुल आ मिले।
These blogs r fondest of my words, closest to my bosom, deeply enriched with the outcomes of an introspective sojourn.... The panoramic view of sinusoidal life and its adornments ....
भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...
No comments:
Post a Comment