Saturday, July 15, 2023

प्रभाकर

कौन है जो उस दिशा में

सूर्य सा आलोक बन कर
पुण्य पथ के दिव्य रथ को
हांकता रहता निरंतर।
इस निशा से उस निशा तक
प्राण में उत्साह भर कर
गीत अधरों पर सृजन के
क्यों सजाता वह दिवाकर।
रुकता नहीं थकता नहीं
चिर निशा में दीप बन कर
दिवस को अस्तित्व देता
प्रमुद स्वर्णिम वह प्रभाकर।



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