सोचता हूं कि वही लिखूं जो तुम्हें पसंद हो,
यह कौन सा सत्य है जो मैं लिखता रहता हूं
और दिन पर दिन तुम दूर हुए जाते हो।
वह संबंध ही क्या जो मीठी बातें बनाये नही
जो कानों में मिसरी से गीत गुनगुनाए नहीं।
जीवन में, मृत्यु में, हास में रूदन में।
वेद पुराण के पन्नों से ले कर रोटी के संघर्ष में
परंतु सत्य से कभी किसी का पेट नहीं भरता,
उल्टे, मन को जन्मों की भूख दे जाता है।
संसार में भूख है, प्यास है, जीतने की आस है
जीने दो, हंसने दो, मिलने दो, पाने दो, आने दो
अहम ही तो जीवन है, समर्पण सन्यास है।
लिख सको तो राग लिखो, प्रेम और अनुराग लिखो
निर्बल का करुण नहीं, शक्ति का श्रृंगार लिखो।
अस्फुट
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