सारा खेल ही है, आस्था को हिला दो, व्यवस्था हिल जाएगी।
कम से कम हजार साल से भारत, सामरिक संघर्षों के साथ ही मनोवैज्ञानिक स्तर पर इन आक्रमणों को भी झेल रहा है। परंतु भारतीय मनीषा ने आस्था, विश्वास और व्यवस्था को अभ्युदय के इतने आयाम दिए हैं कि एकांगी एवं जड आस्था की आक्रामक लहरें आ आकर भी समय के साथ कुंद हुई हैं। फिर भी दीवार पर हजार चोटें तो लगी ही हैं।
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