Saturday, July 15, 2023

तड़प

बहुत कठिन है यह समझना कि किसी की तड़प क्या है और क्यों है? किन्तु जब तड़प है तो है, कोई ज्ञान काम नहीं करता। वशीभूत सा व्यक्ति भोग के राहु और त्याग के केतु के बीच वासुकि सा मंथा जाता है। साथ ही आवश्यकता से अधिक होने पर भी परिग्रह में डूबा अस्तित्व, संग्रह के सुखद बोझ में पता नहीं कहाँ तक पहुंच पाता है। जन्मान्तरों की यात्रा यूं ही नहीं बनायी होगी ईश्वर ने।




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मेरी माँ

भोजन टेबल पर रखा जा चुका था। नजर उठा कर देखा तो माँ सामने खड़ी थी। सूती साड़ी में लिपटी वह सादगी की प्रतिमूर्ति , चेहरा सर्द बर्फ की तरह शां...