राष्ट्र निर्माण का मौलिक घटक व्यक्ति है। व्यक्ति के निर्माण में शिक्षा, संस्कृति, मूल्यों और गुरु का बडा योगदान होता है।
गुरु की स्वायत्तता और मान्यता जैसे जैसे शिक्षण संस्थानों की तथाकथित स्वायत्तता में विलोपित होती गई, समाज की सामान्य दिशाहीनता बढी।
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