तप का सुफल ज्ञान है। लेकिन तप के फलस्वरूप ऐश्वर्य, शक्ति, सामर्थ्य भी साथ मिल ही जाते हैं। यहीं पर तपस्वी की परख भी होती है।
कई बार हम ज्ञान को छोड बाकी सब कुछ का वरण करते हैं और अपने तप के बदले भोग की कामना में उलझते हैं। तपस्वी को ज्ञान की अभीप्सा करनी चाहिए। भोगों को साध्य नहीं बनने देना चाहिए और ज्ञान हो जाने पर भी तप का मार्ग कभी छोड़ना नहीं चाहिए।
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