आपकी आतंरिक यात्रा से संसार को कोई सरोकार नहीं है। आप का सत्य क्या है, आपके आदर्श क्या हैं उस से भी बहुत अंतर नहीं पड़ता। संसार एक विविधा है, जिसमें व्यवहार के विविध शिष्टाचार हैं। व्यवहारिकता की कसौटियों पर आपकी उपयोगिता आपकी सांसारिक सफलता असफलता तय करेगी।
और हाँ, आपके अंदर के "स्व" और "सत्य" आपके निजी विषय हैं। व्यवहारों की मरीचिका में अपने सत्य से समझौता किये बिना जो जी गया, वह महामानव।
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