Saturday, April 4, 2020

दीप जलाना किधर मना है।

दीप जलाना किधर मना है।

माना यह बाधा बहुत बड़ी है,
उम्मीदों को चोट लगी है।
घबराहट की हवा चली है,
आंधी है, पतवार नहीं है।

दीप जलाना किधर मना है।

माना तम यह बहुत घना है,
माना भ्रम यह बहुत बड़ा है।
मायावी सा शत्रु खड़ा है ,
मानवता पर युद्ध छिड़ा है।

दीप जलाना किधर मना है।

आओ मिल कर दीप जलाएं,
हम प्रकाश का सम्बल पाएं।
ज्यादा तेरा और थोड़ा मेरा,
आओ भारत का नेह बढ़ाएं।

दीप जलाना किधर मना है।

दीप जलाना आत्म शक्ति का,
दीप जलाना राष्ट्र भक्ति का।
दीप यत्न का प्रखर जलाना ,
दीप देश का प्रखर जलाना।

दीप जलाना किधर मना है।

भारत माता की जय। 

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