Thursday, December 29, 2022

स्तंभ मजबूत बनाओ

 स्तंभ मजबूत बनाओ

जितना समय लगे, लगाओ

जीवन शून्य से पूर्ण की यात्रा है,

इसमें छोटे मार्ग न बनाओ।


हर कमजोरी, हर सुगमता, 

वापस पीछे ले आएगी।

लाख अपने सर पटको,  

प्रकृति छूटे पाठ पढाएगी। 


जिसका सूक्ष्म सबल हो रहा,

मानो वही सफल हो रहा।

आधार की गहराईयों में, 

निष्ठा के स्तंभ बनाओ।



Wednesday, December 28, 2022

नेता

रस है उस रसना में,

जिसने राग तुम्हारा गाया। 

बेलीक, खरी बातों को, 

तुमने तो नीरस पाया।


आवर्त राग के शिखर जोड़, 

तुमने स्वर महल बनाए।

जो नहीं तुम्हारे मूल्य बिंदु, 

उनके भी मोल चुकाए।


भावों के अगनित बिचौलियों ने, 

जाने क्या क्या तुमको बेचा। 

मोहित से तुम डोल रहे, 

सच को न कभी तुमने सोचा।


पद, प्रभाव, धनबल वर्षा में,


 

लोट लोट सुख तुमने लूटा

साधु साधु, करतल गर्जन में,

मार्ग तुम्हारा कब का छूटा।

क्या रहता, क्या खो जाता है?

सागर सदृश जीवन में उत्तुंग तरंगें स्मृतियों की जब कूल तोड़ कर बढ़ती हों कुछ बह जाता, कुछ रह जाता है। कितने मेरे थे, कितनों का मैं, पर काल बिंद...