Thursday, July 31, 2008

The predicament.......

तजुर्बों से सीखी थी हमने जो बातें,
रेत पे लिखे उन आँधियों की जो रातें।

सब मिट रहा ,कुछ नया हो चला हूँ,
दयार-ऐ-दस्त में भटक सा गया हूँ।

पुकारा किए, एक नाम था जो सहारा,
हुई ख़ुद में गुम कश्ती,और वो किनारा।

घनी काली रातें यह क्या गीत गाती,
रौशनी का दिया कब से रहा बिन बाती।

एक आस का साकी,और ख्वाबों के प्याले,
सौंपू कहाँ ख़ुद को, किस खुदा के हवाले??

Wednesday, July 30, 2008

The renaissance ????

मेरी गुर्बतों के अब्र,
राशिद तेरे अल्फाज़।
तरन्नुम की कशिश,
सजते हुए से साज़।

दीगर वोह माहताब,
चश्म का वोह आब।
कुछ दीवाने से किस्से,
कुछ चाहत के आदाब।

हरजाई रही जो रात,
कह गई जिगर की बात।
साँसों के रस्ते हौले से,
कुछ सरगोशी की सौगात।

गुलशन का मौसम बदला,
उगते से दीखते अब पात।
जिगर के रौशन टुकडो में
भी बनती सी अब कोई बात।

होठों का शजर वोह देखो,
फ़िर से हो रहा हरा है।
मुस्कान का रमल भी देखो,
फ़िर चल सा पडा है।

Friday, July 25, 2008

The marks......

हाँ अजीब सी येह कहानी है,
लगती मेरी जिंदगानी है।
एक ख्वाब का मलाल कुछ,
कुछ आग सा येह पानी हैं।

मिल गए कुछ खो गए,
अरमान जगे कब सो गए।
अब इस कतार-ऐ-पलक पे,
कुछ शबनमी मंजर हुए।

हंस पडा मेरा मुकद्दर,
रह गए कुछ चोट अन्दर।
घाव कब के मिट चुके जो,
रह गए एक दाग बन कर।

हाँ अजीब सी ......

Tuesday, July 22, 2008

The Messiah...........

मसीहा....
जिस्त-ऐ-मरहम अब नही,
रूह-ऐ-खुदाई खोजता हूँ।
नाम तेरा जुबान पे रख ,
एक रात लम्बी जागता हूँ।
मसीहा....
सब छोड़ तुझको चाहता हूँ,
ख़ाक सा मैं जा बना हूँ।
अब कुछ नही बाकी है मुझमे,
बस छाँव तेरी चाहता हूँ।
मसीहा....
दर्द को जाहिर न करता,
खुशनुमा सपने न तकता।
दस्त का सूखा शज़र मैं,
बस तेरी ही राह तकता।

Sunday, July 13, 2008

The night n the moon........

पलकों ने ली साँसे,
और दिल ने ली अंगडाई.
आज रात के सन्नाटे में ,
चांदनी जैसे छाई.

चाँद, हो मय का प्याला,
और चांदनी जैसे मय हो.
हाथों में ले सागर जैसे,
रात ही आप खड़ी हो.

मयकश हो गर जानी ,
तोह हाथ बढाओ आगे.
जाने दो इस दुनिया को,
जहाँ जहाँ ये भागे.

Shortlived awakening.......

मन के भाव रो पड़े,
तन के तार हिल पड़े.
गीत ऐसा गाओ मीत,
आसमान बरस पड़े.

साँस रोक कब तक जिए,
आस तोड़ कब तक लड़े.
मन अब अधीर है,
कदम इधर उधर पड़े।

गीत ऐसा गाओ मीत,
आज हम फ़िर जिए.
जीवन की राह पर,
दौड़ते हुए हम चले.

रास्ते का अंत हो न,
लक्ष्य का न bhaan हो.
फ़िर भी हम चले चले ,
मंजिलों की खोज हो।

Cosmic company..........

कह दिए सब दिल के अरमान , सब वफायें कह चुका.
साथ का ऐसा नशा था , जाने क्या क्या कह गया.

गम रहा उस वक्त मेरे , ख्वाब का हर एक गुमान,
लुट गया मेरे जेहन का दर्द का सारा निशाँ.

अब नही कुछ साथ मेरे , बस तेरा काफिर हुआ हूँ,
पल को जो ठहरे हो तुम , मैं भी तेरे साथ ही हूँ..

साया दिल का बोलता है , अब नही धड़कन का अरमान,
नब्ज की हर शाह पे देखो , अब बजे तेरा ही सरगम.

होठों से लिखते जो मयकश, आज वोह मैं लिख रहा हूँ,
जाने कितनी दूर को यह , फासला मैं गिन रहा हूँ.

अब कहो मेरे ऐ दिलवर , फासलों की उम्र क्या थी,
बाह में भर कर के देखो , साथ की वोह बात क्या थी.

Passionate peaks..........

कौन कहता है तुम्हे याद नही आऊंगा
दिन तोह दिन है , तुम्हे रात भी जगाऊंगा.

सिलवटें हाथों की सिमट के रह जाती हैं,
अबकी मिल जाओ तो फ़िर दूर नही जाऊँगा.

हाथ में हाथ लिए शाम गुजर जाती हैं,
अबकी होठों के भी कुछ खेल दिखा जाऊँगा.

तुमसे मिलते ही मेरा वक्त ठहर जाता हैं,
जाने कब शाम की सरहद से निकल पाउँगा.

मत कहो आज मेरा कत्ल हुआ जाता हैं,
देख कर भी उसे आँखों में बसा जाऊँगा।

The world of dreams .....

ख्यालों में तुमको,साथ मैं देखता हूँ,
कहो न कहो, दिल में कुछ बात होगी.

सवालों में तुम हो, जवाबों में तुम ही,
दिखे न दिखे , दिल में एक आग होगी.

केशुओं में तेरे , भीनी सी खुशबू,
कहती है जैसे, आज कुछ बात होगी.

आंखों में तेरे, जो चमकते सितारे,
कहते हैं मुझसे, आज एक रात होगी.

सावन की बदली , तेरी यह जुल्फें,
जाने न जाने कब बरसात होगी.

मुझे चाहती हो , कहना है मुश्किल,
जाने हसीं कब यह कायनात होगी.

होठों से दिल की कहते हो रुकते,
कब दिल की दिल से मुलाक़ात होगी॥

The scars of .........

टुकडों में जीने की ख्वाहिश नही अब.

बेरुखी तेरी, सही अब न जाती,
याद तेरी कहीं एक पल को न जाती.
रौशनी छ रही दीये से मगर,
जल रहा देखो कैसे कही कोई बाती.

चाहत का तूफ़ान, जो मेरे जिगर में,
एक लहर कोई उसकी तुम तक भी जाती.
तड़प के वोह किस्से न अब मैं सुनाता,
तुम्हारी खुशी ही है मुझको जो भाती।

हँसी तेरे होठों की देखो गजब है,
धब्बा बना उसपे मेरा जिकर है.
दीखता है तेरे पेशियों पे पसीना,
जब जब है छाया तुमपे मेरा असर है॥

Sonorous silence..........

वोह सागर की लहरें,
तुम जैसी बिल्कुल लगती हैं.
खामोश नजारा फैला है,
फ़िर भी सब कुछ कहती हैं.

तड़प,तरस और एक मिलन का,
एहसास तुम्ही से होता है.
तेरी उन बेसुध आंखों में,
मेरा सब कुछ खोता है.

बाहें कुछ ऐसी की जैसे,
फूलों का एक हार बना हो.
पलकें कुछ झुकती हो ऐसे,
एक हयात का ख्वाब छिपा हो.

अब एहसास नही जिगर में,
क्या कोई धड़कन भी बाकी.
चाहत का मैं छलका के,
रूठ गया वोह मेरा साकी....

Bonfire of emotions.....

आग जला कर ख़ाक कर चुकी,
जो चाहत के फूल खिले थे.
रोज जिगर का लहू बहा था,
आज कहीं भी दाग नही थे.

आज नही था बोझिल मन में,
अरमानो को ताकने का दम.
आज नही प्यासे होठों को,
प्यासे होने का भी कुछ गम.

जर्द हुआ हूँ , सर्द पडा हूँ,
दिल में कुछ एहसास दबे हैं.
दूर कहाँ जाओगे मुझसे,
मुझमे तेरी साँस बची हैं.

धड़कन की टिक टिक है जिन्दा,
कहते फ़िर भी लाश सभी हैं.
ओह मेरे सपनो के साथी,
जाने कितनी नींद बची हैं.

The caravan of life...........

हम अजान से खड़े थे,
और कारवाँ चल पड़ पडा।
धूल की उस् गर्द में,
पाया गया था मैं खड़ा ।

जिंदगी की दौड़ में,
पिछडे हुए ही हम सही।
क्या फायदा गर दौड़ने
में जिंदगी ही ना रही।

हम अकेले ही चलें हैं,
जिंदगी की राह में।
कोई भी आओं मीत,
हमारे साथ साथ में।

जियेंगे हम की जिंदगी
से एक लब्ज प्यार हैं।
मरेंगे हम की मौत भी,
हमारा पुराना यार है।

Friday, July 11, 2008

The wounds...........

है घाव बहुत गहरा साकी,
वक्त किनारे बैठ रात,
शोलों की बारिस झेली है।
हो एक कतल सी वो बोली,
लहू में हमने घोली है।
है घाव बहुत.....
क्या मरहम दुनिया में होगा ,
जख्म-ऐ-जिगर तक जा पहुचे।
क्या मय होगा मयखाने में ,
जो लाश-ऐ-जिगर जिन्दा कर दे।
है घाव बहुत.....
है खुदा अगर जर्रे जर्रे में,
इस प्याले में तू उसको डाल।
एक घूँट लगा, बेकस दिल का
सब कह जाऊं उस से मैं हाल।

है घाव बहुत....
अब दफन हयातों में शैतान,
कब टूट चुका मेरा इंसान।
एक जाम बना ऐसा साकी,
पा जाऊं अब उसका फरमान।
है घाव बहुत गहरा साकी.

Tuesday, July 8, 2008

For some unknown ..........

झुक गयी सी नज़र, कह गए कुछ अरमान,
सिल गए वो होठ, चल पडा एक नगमा।

खामोश तमन्नाएं, उल्फत की ही बोली,
कुछ संगीन हो फिजा, या चाहत की हो होली।

चिरागों सी रोशन , तेरी दो वो आँखें,
सागर से गहरे , लबों के वो प्याले।

जिस्म से दिल तक, तपिश एक कशिश की है,
क्या तुमको बयान हो, खलिश कुछ बची सी है।

है नूर-ऐ-खुदाई, कुछ तुझ में समाया,
आ कर जा फनाह, बन जा मेरा सरमाया।

Sunday, July 6, 2008

Nostalgia.......

आतिश सी रही शब् ,
हैरत में कटी रात।
जश्न के वो जलवे ,
लगते हैं वारदात।

शोखी भी पड़ी जर्द,
लम्हे हुए कब साल।
क्या जाने किस खुदा के,
बिखरे हैं येह जमाल।

साँसों में बुझा कुछ,
सीलन भरी अब आस।
फलक का कोई रंग,
आता नही अब रास।

इश्क की वो रंजिशें,
हैं मुश्क से नासाज।
हैं जख्म में पैबस्त,
कातिल तेरे अल्फाज़।

Saturday, July 5, 2008

Synopsis of agony....

दर्द तेरी कुछ अजब कहानी।
दबे पाँव आते देखा है,
रोते और रुलाते देखा है।
आँखों में दे जर्द सा सरगम,
चौराहे पे लाते देखा है।
दर्द तेरी....
कभी लबों का सागर तू है,
कभी ख्वाब सी गहराई।
कभी साँस की डोर बंधे तुम,
काफिर को देते हो खुदाई।
दर्द तेरी....
गहरी सी तेरी दुनिया है,
जैसे शाम की परछाई ।
तुम मेरे बरसों के साथी,
तुमको पा नेमत है पायी।
दर्द तेरी कुछ अजब कहानी.

क्या रहता, क्या खो जाता है?

सागर सदृश जीवन में उत्तुंग तरंगें स्मृतियों की जब कूल तोड़ कर बढ़ती हों कुछ बह जाता, कुछ रह जाता है। कितने मेरे थे, कितनों का मैं, पर काल बिंद...