Monday, August 7, 2023

जीवन छोटा, सन्देश बड़ा हूँ

अभिलाषा का बिंदु नहीं,

मैं जीवन का हस्ताक्षर हूँ। 

रूप रंग के कोलाहल में, 

जीवन का मैं संवाहक हूँ। 


उपासना की मौन प्रस्तुति, 

प्रेमी के अकथित उदगार। 

शोभा का श्रृंगार अलंकृत, 

संवेदना का मैं हूँ आभार।   


हर्ष विषाद से परे खड़ा हूँ,

जीवन छोटा, सन्देश बड़ा हूँ।




No comments:

क्या रहता, क्या खो जाता है?

सागर सदृश जीवन में उत्तुंग तरंगें स्मृतियों की जब कूल तोड़ कर बढ़ती हों कुछ बह जाता, कुछ रह जाता है। कितने मेरे थे, कितनों का मैं, पर काल बिंद...