Friday, September 12, 2008

Milestone n traveller ........

मत पूछ अब सवाल ,सूरज ढल रहा है।
बस देख मेरा हाल तूने क्या किया हैं।

मुहर्रम ही रहा अरसों से मेरे दिल का हाल।
ईद का कोई ख़याल जैसे बुझ गया हैं।

क्यूँ गुजरा ज़माना आज तुझ को याद आया।
कोई खुदा क्या ,आज तुझको कह गया हैं?

अब्र के मानिंद मय को पीता रहा हूँ।
तेरा तोह अब हर जिक्र जैसे धुल चुका हैं।

शाम दस्तक आज भी दे वक्त बतलाती हमें।
वरना जाने , देव कब का सो गया हैं।

क्या मुड कर देखते हो, आते जाते सोचते हो।
क्यूँ मील का पत्थर वहीँ पे रह गया हैं।



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