Monday, November 9, 2020

पल्लवन

पल्लवन यह प्रेम का।
पुष्प के सन्देश का,
सृष्टि के संकेत का।
उपवन सुबासित हो रहे,
मधुवन है यह हेमंत का।
पल्लवन यह प्रेम का।



No comments:

क्या रहता, क्या खो जाता है?

सागर सदृश जीवन में उत्तुंग तरंगें स्मृतियों की जब कूल तोड़ कर बढ़ती हों कुछ बह जाता, कुछ रह जाता है। कितने मेरे थे, कितनों का मैं, पर काल बिंद...