Monday, November 9, 2020

स्तंभ

देखो कैसे स्तंभ खोखले हो जाते हैं !
कभी अंदर या फिर बाहर वाले खाते हैं।
या फिर खोखला होना अपरिहार्य है,
गुजरते समय का सांकेतिक पर्याय है।
अखंडता कोई हास नहीं, परिहास नहीं,
जहां कमजोर हुए टूटोगे, अविश्वास नहीं।



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