Monday, December 28, 2020

किनारे

किनारे पूछते हैं - नाविक तुम्हें मंज़िल मिल गयी क्या ? तट के समीप की तटस्थता कब तक ? कहाँ है तुम्हारी नाव या फिर क्यों नहीं जाते तुम अपने गाँव ?

क्या खोजते हो ? वह जो किसी को नहीं मिला ? या फिर खो गए हो, उलझ गए हो वियोग और संयोग के बीच ...



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क्या रहता, क्या खो जाता है?

सागर सदृश जीवन में उत्तुंग तरंगें स्मृतियों की जब कूल तोड़ कर बढ़ती हों कुछ बह जाता, कुछ रह जाता है। कितने मेरे थे, कितनों का मैं, पर काल बिंद...