Friday, September 8, 2023

धर्म-अधर्म

जहां हृदय में धर्म निष्ठा है, वहां चरित्र में सुंदरता है। जब चरित्र में सुंदरता होती है, तो घर में सद्भाव रहता है। जब घर में सद्भाव होता है, तो राष्ट्र में व्यवस्था होती है। जब राष्ट्र में व्यवस्था होती है तो विश्व में शांति होती है। ऐसा मैंने नहीं स्व. अब्दुल कलाम ने कहा था।

विश्व शान्ति का मूल व्यक्तिगत धर्म निष्ठा दिखती है, वह धर्म जो नितांत निजी है, जिसे किसी अन्य के लिए समझना भी असंभव। कठिनाई यह है कि हृदयों में धर्म निष्ठा का सृजन कैसे हो? चेतना, प्रेरणा, प्रशिक्षण और प्रबोधन के साथ धर्म निष्ठा को पोषित करती व्यवस्थाएं भी सृजित होनी चाहिए। आदर्शों की भी सहज प्रचुरता रहे जो सुनिश्चित करें कि "महाजनो येन गतः स पन्थाः" के पथिक भ्रमित न हों।
व्यक्तिगत धर्म के बिंदु जब मिल कर विश्व धर्म के विराट को स्वरुप देते हैं। तब मानव युगानुकूल विधान, संविधान गढ़ता है और व्यवस्था की छाँव में युग को शान्ति का अवलेह देता हैं। किन्तु वहीं जब प्रत्येक बिंदु में ही अधर्म का विप्लव हो, तब विश्व में कैसी व्यवस्थाएं बनेंगी? और जैसे जैसे यह विप्लव और बढ़ेगा, दृश्य कैसे होंगे?


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