Friday, June 27, 2008

The reckoning.........

अब जाग ज़रा मेरे मौला...
है रात घनी, फैला है तम,
बिखरा जाता अब मेरा दम।
हाथ बढ़ा , तू थाम ज़रा,
है चोट बड़ी, आंसू हैं कम।
अब जाग.....
सदियाँ बीत गई हो जैसे,
मेरे होठों को मुस्काये।
अरसा गुजर गया हो जैसे,
किसी को दिल का हाल सुनाये।
अब जाग ......
है चाह बड़ी दीवानेपन की,
तेरी ही अब आस बची है।
दुनिया के झोंकों से लरज कर,
एक तेरी ही प्यास बची हैं।
अब जाग .......
है कसम खुदा, अब हाथ बढ़ा,
तू देर न कर, अब जाग ज़रा।
दे सफर वही जो तुझको पाऊं,
दीवाना बन , लूँ नाम तेरा।
अब जाग जरा मेरे मौला....

5 comments:

mukesh said...

mukarrar mukarrar
i know your creative ability(ankur kavi).
yaad hai "Mrigank".

Dev Ashish said...

bilkul yaad hai bhai.... apne ateet ko kaafi sahej kar rakhaa hai, sab kuch usi kaa diya toh hai.... mast ho na??

manchandra said...

u rock dev....rock n roll

Anonymous said...

dev, u r really good at the reckoning of your soul, keep it up

Anonymous said...

and guess who the anonymous is. shishya

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