राहतों से डर लगता है ॥
बेचैन जिगर, बेताब नजर,
प्यासी आहें ,खूंखार नजर।
तड़प-तड़प और बिफ़र बिफ़र,
घायल सांसें, बर्बाद शजर।
राहतों........
टूटी- फूटी , गीली -सीली,
एहसास मरे, खामोश ये घर।
है जला जला, कुछ बुझा बुझा,
दीवाना सा मेरा मंजर।
राहतों........
है गिरे पड़े, कुछ लुटे हुए,
कुछ पिटे हुए , मेरे अरमान।
ठहर ठहर, न फेर नजर,
कह दे तू जरा उनका फरमान।
राहतों ........
मौत मौत और jist jist ,
लड़ना -मरना ,पाना खोना।
अब बहुत हुआ ये खेल खुदा,
मैं चला ,नही रोना धोना।
राहतों..........
These blogs r fondest of my words, closest to my bosom, deeply enriched with the outcomes of an introspective sojourn.... The panoramic view of sinusoidal life and its adornments ....
Friday, May 23, 2008
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क्या रहता, क्या खो जाता है?
सागर सदृश जीवन में उत्तुंग तरंगें स्मृतियों की जब कूल तोड़ कर बढ़ती हों कुछ बह जाता, कुछ रह जाता है। कितने मेरे थे, कितनों का मैं, पर काल बिंद...
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Bol Bam - A journey of faith and surrender. (Sultanganj to Deoghar)- Shravan , 2011 It was raining heavily in Kolkata. The streets were ...
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सागर सदृश जीवन में उत्तुंग तरंगें स्मृतियों की जब कूल तोड़ कर बढ़ती हों कुछ बह जाता, कुछ रह जाता है। कितने मेरे थे, कितनों का मैं, पर काल बिंद...
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चलो यह बस्ते, यह बोझ फेंकते हैं, दौड़ कर क्षितिज से कुछ पूछते हैं। आशा की तूलिका में रंग नए लपेटे, जीवन सूर्य को सुनहला कर देते हैं।
1 comment:
chalo accha laga ki no rona dhona.bindaas jine ka.
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