Saturday, August 1, 2020

दीप्ति, तिमिर और छाया

देखना, सुनना, रंगों को पढ़ना, रौशनी
और छाया के सन्दर्भों को समझ पाना।
मैंने सीख लिया रुकना, ठहरना और
कभी कभी समय किनारे बैठ जाना।
दृश्य बोलते हैं मुझसे, संकेतों की भाषा
में सुनता हूँ जीवन के विविध रंग राग ।
दीप्ति, तिमिर और छाया, आगत विगत
के बीच निमीलित, पल पल का अनुराग।
PC- Happy Soul


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