Monday, August 3, 2020

उपवन का एक कुसुम

मेरा ये रंग, मेरा ये ढंग
सबसे अलग, सबसे मलंग।
रस-गंध मुक्त मैं सहज सृजन,
परिमल भावों के मेरे उमंग।
तृषित नयन को पुलकित करता
मैं उपवन का एक कुसुम हूँ।
शोभा का श्रृंगार अकिंचन,
मधुवन का वैरागी पराग हूँ।
PC- Shefali Vaidya


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