Saturday, June 13, 2020

हौसला

तुम्हें जाना कहाँ है ? विराट समुद्र मुझसे प्रश्न करता था !
पंख कमजोर थे, कुछ डर था, कहीं अपने में कुछ कम था।
अब मैंने हौसलों के पंख पसार दिए हैं, लक्ष्य ही अब दृष्ट है,
मेरी लघुता अपना विस्तार, वह देखता है, हिसाब करता है,
जय पराजय, मरण जीवन, दोनों का संवाद बना कर रखता है।

PC- Capt Sushil Kumar


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