Saturday, June 6, 2020

भोर

सुप्रभात

बीती निशा, आओ सृजन का नाद छेड़ें,
उठ नयी सी भोर का हम करें स्वागत।
स्वर्ण सी आभा का यह प्रत्यूष अद्भुत,
आओ बनाएं स्वप्न का वह दिव्य भारत।

अस्फुट


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