Sunday, July 13, 2008

The caravan of life...........

हम अजान से खड़े थे,
और कारवाँ चल पड़ पडा।
धूल की उस् गर्द में,
पाया गया था मैं खड़ा ।

जिंदगी की दौड़ में,
पिछडे हुए ही हम सही।
क्या फायदा गर दौड़ने
में जिंदगी ही ना रही।

हम अकेले ही चलें हैं,
जिंदगी की राह में।
कोई भी आओं मीत,
हमारे साथ साथ में।

जियेंगे हम की जिंदगी
से एक लब्ज प्यार हैं।
मरेंगे हम की मौत भी,
हमारा पुराना यार है।

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