Sunday, July 13, 2008

Shortlived awakening.......

मन के भाव रो पड़े,
तन के तार हिल पड़े.
गीत ऐसा गाओ मीत,
आसमान बरस पड़े.

साँस रोक कब तक जिए,
आस तोड़ कब तक लड़े.
मन अब अधीर है,
कदम इधर उधर पड़े।

गीत ऐसा गाओ मीत,
आज हम फ़िर जिए.
जीवन की राह पर,
दौड़ते हुए हम चले.

रास्ते का अंत हो न,
लक्ष्य का न bhaan हो.
फ़िर भी हम चले चले ,
मंजिलों की खोज हो।

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