Wednesday, August 13, 2008

The Phoenix..........

अब ग़म किसका है , कुछ याद कहाँ ।
आंख में बरसो रही,गुम हुई कोई कजां।

शफक का आफताब , कहता है बेहिसाब।
जल जल के देखो, लिखता कोई किताब।

आज़माइश जुम्बिश की,अरसो चली जैसे।
आसिम भी पूछते हैं, बिस्मिल यहाँ कैसे।

हर रोज बिखरता हूँ, हर रात इत्तिहाद है।
बयान-ऐ-उजाड़ में अब भी,वही कायनात है।

असरार बेगाने हुए,खयालात अब असीर।
अंजाम-ऐ-रिहाई बख्श दो, ऐ मेरे फ़कीर।

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