Sunday, July 13, 2008

Sonorous silence..........

वोह सागर की लहरें,
तुम जैसी बिल्कुल लगती हैं.
खामोश नजारा फैला है,
फ़िर भी सब कुछ कहती हैं.

तड़प,तरस और एक मिलन का,
एहसास तुम्ही से होता है.
तेरी उन बेसुध आंखों में,
मेरा सब कुछ खोता है.

बाहें कुछ ऐसी की जैसे,
फूलों का एक हार बना हो.
पलकें कुछ झुकती हो ऐसे,
एक हयात का ख्वाब छिपा हो.

अब एहसास नही जिगर में,
क्या कोई धड़कन भी बाकी.
चाहत का मैं छलका के,
रूठ गया वोह मेरा साकी....

1 comment:

Anonymous said...

I always inspired by you, your thoughts and way of thinking, again, thanks for this nice post.

- Norman

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