Monday, July 20, 2020

रंगमंच

सृजन - संवर्धन - विनाश का मन्त्र ही तो हो
जीवन ! तुम बनने बिगड़ने का चक्र ही तो हो।
पता नहीं कब फूल, फल और फिर परिपक्व,
शैशव, यौवन और वार्धक्य का रंगमंच ही तो हो।


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