Saturday, July 15, 2023

आकांक्षाओं के सोपान

काल की नीरवता में उसका प्रतिबिम्ब घुल रहा था। मौन में उसका अस्तित्व तिरोहित हो रहा था, किसी गह्वर जैसा मौन सारे नाद को लील रहा था। वर्तमान उसके भूत के आधार पर कुछ नया रच रहा था। फिर भी आनंद की बहुआयामी आकांक्षा की लहरों पर उसकी नौका बढ़ रही थी।

आकांक्षाओं के सोपान और काल के निर्देशांक।



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