Saturday, July 15, 2023

बुद्ध पूर्णिमा

2010 की बात रही होगी। हम, अटलांटिक मिराज नामक जहाज पर गैसोलीन ले कर जापान के चीबा नामक पत्तन में ढुलाई हेतु प्रवेश कर रहे थे। चीबा, टोक्यो और योकोहामा के निकट एक शहर है। प्रशांत महासागर के तट पर, विराट लहरों को देखता। शांत मौसम में भी प्रशांत महासागर से चलती बड़ी बड़ी महातरंगें इन क्षेत्रों में जहाज के संचालन को रोचक बनाती हैं।

पत्तन में जाने के लिए हमारे जहाज ने स्थानीय पायलट ले लिया था। कोई 68 वर्ष का बूढा कप्तान हमारे जहाज को टर्मिनल तक ले जाने के लिए सहयोग करने आया था। जहाज के मुख्य अधिकारी के रूप में मैं पायलट से तकनीकी संवाद निबटा चुका था। जापान में लोग अधिकाँश कार्यकुशलता के शिखर पर काम करते हैं। योजना एवं क्रियान्वयन का अद्भुत दृश्य वहाँ जीवन के सभी पहलुओं में देखा जा सकता है। हमारा बूढा पायलट भी अपवाद न था।
पायलट के सुझाव और जहाज के कप्तान के निर्देशानुसार हम पत्तन की ओर सुरक्षित बढ़ रहे थे। तभी पायलट पूछ बैठा, आप भारत से हैं ? मैंने हाँ में सर हिलाया। उसका अगला प्रश्न था "क्या आप बुद्ध गया जानते हैं" ? मैंने कहा जानता ही नहीं बल्कि मैं बोधगया कई बार गया भी हूँ। इतना सुनते ही वह बूढा पायलट भाव विभोर हो गया, उसकी आँखें डबडबा गयीं। रुंधे स्वर में उसने मुझसे कहा कि उसे मरने से पहले एक बार बुद्धगया जाना है।
हम सभी थोड़ी देर के लिए मौन हो गए। जहाज के रेडियो पर पोर्ट कण्ट्रोल कुछ निर्देश देने लगा। जहाज के आगे और पीछे टग बोट आ चुके थे। पायलट कुशलता से संयोजन करते हुए हमें जहाज को किनारे लाने में सहयोग कर रहा था।
मैं 2 सहस्त्राब्दी बाद भी बुद्ध, उनके विचारों और उनके प्रति समर्पण को एक दूर देश में पूरी तरुणाई में देख रहा था। स्तब्ध।
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामना।



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