Saturday, July 15, 2023

एक व्यक्ति

संसार में "एक व्यक्ति" की शक्ति असाधारण होती है। एक व्यक्ति अपनी लिप्सा, इच्छा, योजना, प्रेरणा, पराक्रम से संसार में न जाने क्या क्या कर जाता है। अच्छा - बुरा, सही - गलत, निर्माण - विध्वंस, अधिकाँश सबके मूल में एक व्यक्ति की ऊर्जा प्रभावी होती है। भोग के विभिन्न स्तरों पर व्यक्ति की ऊर्जा विभिन्न परिस्थितियां सृजित करती हैं। व्यक्तिवाद की इस प्रक्रिया को और लंबा चलाने के लिए, आभासी सामाजिकता का स्वरुप भी गढ़ा जाता है।

अपवाद स्वरुप कभी कभी कोई एक व्यक्ति ऐसा भी आता है जो सामाजिक अपेक्षाओं को अपने अंदर निहित कर, व्यक्तिवादी अश्वमेधों को रोक देता है। जो जन कल्याण और सर्वे भवन्तु सुखिनः का मार्ग चुन व्यक्तिवाद को लम्बे समय तक किंकर्तव्यविमूढ़ कर जाता है।
और यह चक्र रुकता नहीं। समाज, पंथ, राष्ट्र, व्यक्तित्वों के इन्ही कृष्ण और शुक्ल पक्षों में बनते बिगड़ते रहते हैं।





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