Saturday, July 15, 2023

समाज, सरकार और बाजार

क्या सभ्यता की सततता के लिए हमें नयी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में अच्छे कार्यों को प्रोत्साहन की व्यापक पद्धति का सृजन करना चाहिए। अधिकतर लोकतांत्रिक संवैधानिक व्यवस्थाएं गलत का निषेध तथा नियमन तक स्वयं को सीमित करती हैं, वह शायद ही कहीं व्यक्ति और समाज को उत्तम कार्यों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का प्रबंध करती हैं।

बाजार भी व्यक्ति और समाज की योग्यता के निरपेक्ष मूल्यांकन तक स्वयं को रोक लेता है। व्यापारिक नियमों के आलोक में योग्यता, क्षमता और उपादेयता के गणित के परे बाजार बहुत अधिक सही गलत की परख नहीं करता। व्यवस्थाओं और समाज की सततता के लिए उसमें अध्यात्म का पुट होना कितना आवश्यक है यह समाज के निर्णय का विषय है।
समसामयिक विज्ञान एवं प्रबंधन भी व्यक्ति के बहुआयामी अभ्युदय को स्वीकार करता है। ऐसे में क्या समाज, सरकार और बाजार को भी इस अभ्युदय के लिए प्रासंगिक व्यवस्थाएं बनानी चाहिए ?



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